...

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सुन ज़रा...
तकलीफ को तेरी ताकत बना,
सीने में दफ़न कर दे यादें।
पी जा आंसू आँखों से ही,
अब छोड़ मांगनी फरियादें।

कुछ आग लगा ऐसी दिल में,
जल जाये ज़माना शोलों से।
बहरी दुनिया झंकार सुने,
मुँह खोल तू ऐसे बोलों से।

सुननी ही पड़े तेरी बातें,
कुछ ऐसी लगा तू पाबंदी।
दम तोड़ दे सिसकी साँसों की,
खुद से इतना हो जा ज़िद्दी।

दिल लूटने पर लूटने का रिवाज़ हटा,
कुछ ऐसा नया मुकाम बना।
तुझे देख नशा मय को आये,
खुद को तू ऐसी शराब बना।

तेरी कीमत जो उसने ना जाना,
तो इसमें तेरी हार नहीं।
तुझे कोई भी ना समझे,
इतनी दुनिया बेकार नहीं।

© Ritesh Singh