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No end of knowledge
ज्ञान का कोई अन्त नहीं, लेकिन फिर भी है।

*मन बुद्धि मनुष्य के पास ऐसे यंत्र हैं जिनकी उपयोगिता की गुणवत्ता लगातार बढ़ती ही जाती है। मन बुद्धि के द्वारा निरन्तर नया नया चिंतन प्रगट होता ही रहता है। अतीत में हजारों वर्षों से ऐसा होता ही रहा है। सिर्फ मन बुद्धि को नए नए चिंतन को प्रगट होने की सुविधा मिलनी चाहिए। मन बुद्धि को प्रगट होने की वह सुविधा मिलने का हमारा भावार्थ है कि नई नई परिस्थिति, समय स्थान, भिन्न भिन्न लोगों का मिलना तथा मनुष्य की स्वयं की स्मृतियां और श्रुतियां का मानस पटल पर उभर कर आना। ज्ञान के प्रकार अनेक हैं। मानसिक...