सच और झूठ
झूठ की चिंगारी तेज होती है
वो चाहती है सूखे तिनके को जलाना
इसीलिए वो फैलती है
और एक दिन भस्म कर देती है
सबको झूठ की आग में
तिनके इतने जल जाते हैं की
उसकी सच...
वो चाहती है सूखे तिनके को जलाना
इसीलिए वो फैलती है
और एक दिन भस्म कर देती है
सबको झूठ की आग में
तिनके इतने जल जाते हैं की
उसकी सच...