...

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ग़ज़ल
माँ की जब से मिली दुआएँ हैं
दूर हम से सभी बलाएँ हैं

ज़िन्दगी क्या बयाँ हो हाल तेरा
मौत जैसी तेरी अदाएँ हैं

मिल रहा है सुकून आंखों को
तेरी तस्वीर पर निगाहें हैं

ग़ौर से देख नींव महलों की
इस में कुछ बेकसों की आहें हैं

कोई भूखा ना सोए एक दिन भी
मेरे अल्लाह यही दुआएँ हैं

ज़ालिमों की यहाँ हुकूमत है
और मज़लूम पर जफ़ाएँ हैं

मेरे मौला तुम्हारे बंदों को
रास आती नहीं वफ़ाएँ हैं
© ✍︎ 𝐀𝐪𝐢𝐛