ये दूरी ये मौसम
ये दूरी ये मौसम
प्यार में तेरे लगे बहकने।
पुष्प प्रीत के खिले हुए हैं
यादों से दो चार हुये हैं
रंग सुरमई तेरी प्रीत का
साँसों में मकरंद नेह का
वर्षा ऋतु ने झड़ी लगाकर
व्याकुल और बेजार बना दी
पोर पोर में चुभन है मीठी
होगी परिपूरित किस पल में।
ये दूरी ये मौसम
प्यार में तेरे लगे बहकने।
मन की व्यथा समझ लो प्यारे
प्रेम पंथ का ज्ञान नहीं है
लाज शरम से कोशों दूर
तुमसे मिलकर महक रही हूँ
तन झंकृत मन हुआ बावरा
सीमाओं को तोड़े दिल
तेरे अधरों के कंपन से
हर बंध टूट कर लगे हैं गिरने
ये दूरी ये मौसम
प्यार...
प्यार में तेरे लगे बहकने।
पुष्प प्रीत के खिले हुए हैं
यादों से दो चार हुये हैं
रंग सुरमई तेरी प्रीत का
साँसों में मकरंद नेह का
वर्षा ऋतु ने झड़ी लगाकर
व्याकुल और बेजार बना दी
पोर पोर में चुभन है मीठी
होगी परिपूरित किस पल में।
ये दूरी ये मौसम
प्यार में तेरे लगे बहकने।
मन की व्यथा समझ लो प्यारे
प्रेम पंथ का ज्ञान नहीं है
लाज शरम से कोशों दूर
तुमसे मिलकर महक रही हूँ
तन झंकृत मन हुआ बावरा
सीमाओं को तोड़े दिल
तेरे अधरों के कंपन से
हर बंध टूट कर लगे हैं गिरने
ये दूरी ये मौसम
प्यार...