...

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क्या थी मैं
क्या थी मैं,,? अब कैसी हो गयी,,?
तुम्हारे अपनेपन का अहसास कहूँ या अपने मन की कमजोरी,
थी मैं शांत सरोवर जैसी, चुपचाप अकेले गुमसुम रहने वाली
बस अपने काम से काम औरों की मदद करने वाली,,,
तुम्हारी दोस्ती ने मुझे खुल के जीना सिखाया,
लोगों से खुल के हंसना बोलना सिखाया,
मेरे दबे आत्मविश्वास को जगाया
और,,
आज तुम ही मुझसे दूर हो,,,।
मुझे समझ न सके कोई बात नहीं,
मैं गलत तुम सही,
आखिर तुमने मुझे गलत ही समझ लिया,,,
आज हमारा साथ नहीें, फिर भी तुमसे मेरा एक अनुनय है
थे कभी हम दोस्त अजीज, इस नाते ये दुआ कर लेना
भूल सकूं तुम्हें मैं, कोई ऐसी प्रार्थना कर लेना
शायद ईश्वर तुम्हारी सुन ले,,।
और तुम्हें भूलने में मैं सफल हो जाऊं।
© 💥@nn@pu₹n@💥