क्या थी मैं
क्या थी मैं,,? अब कैसी हो गयी,,?
तुम्हारे अपनेपन का अहसास कहूँ या अपने मन की कमजोरी,
थी मैं शांत सरोवर जैसी, चुपचाप अकेले गुमसुम रहने वाली
बस अपने काम से काम औरों की मदद करने वाली,,,
तुम्हारी दोस्ती ने मुझे खुल के जीना सिखाया,
लोगों से खुल के हंसना...
तुम्हारे अपनेपन का अहसास कहूँ या अपने मन की कमजोरी,
थी मैं शांत सरोवर जैसी, चुपचाप अकेले गुमसुम रहने वाली
बस अपने काम से काम औरों की मदद करने वाली,,,
तुम्हारी दोस्ती ने मुझे खुल के जीना सिखाया,
लोगों से खुल के हंसना...