Ishq
"मैं एक चाँद लफ़्ज़ हूँ
और तू एक चाँद सी कविता
मैं मात्र काले-सफेद का चित्र हूँ
और तू एक रंगीन सी कला
मैं सूरज की एक लिपटी हुई रौशनी
और तू रात की चाँदनी, मैं एक चमकाने वाला सितारा
मैं एक टूटा हुआ तारा
तू है माँगी हुई ख्वाहिश
मैं नदी किनारा का एक पत्थर...
और तू एक चाँद सी कविता
मैं मात्र काले-सफेद का चित्र हूँ
और तू एक रंगीन सी कला
मैं सूरज की एक लिपटी हुई रौशनी
और तू रात की चाँदनी, मैं एक चमकाने वाला सितारा
मैं एक टूटा हुआ तारा
तू है माँगी हुई ख्वाहिश
मैं नदी किनारा का एक पत्थर...