...

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Mein Dekha hai
सोते वीराने
★★

वक्त की पलकों के किनारे
अक्सर सोते वीराने देखे हैं
लबों पर चीखता मौन
पलको के किनारे
अधजले से ख्वाबों की तपिश से
बहता एक नरम गीला एहसास देखा है मैंने
ये शब ये तनहाइयां खामोशी की गिरफ्त
बस सन्नाटे में गूंजती
धड़कनों की रवानियाँ
मानो चांद तारों की खामोश महफिल
कुछ ग़ज़लें कुछ कहानियां
कितना कुछ खामोश है
बस एक सदा सुनाई देती है तुम्हारे नाम की
काश ! कि पल भर को तुम आते

मेरी खामोशियां बयां करती आंखों में
चंद बीज अपने ख्वाबों के बो जाते
मैं सींच लूँगी उन्हें इन खारे पानी से
यूं तो कई साल बिताए हैं मैंने तुम्हारे बिन
हाँ !

यूं तो कई साल
बिताए हैं मैंने तुम बिन
बस एक तुम और तुम्हारी
याद न छूटी मुझसे...
वक्त की पलकों के किनारे
अक्सर सोते वीराने
देखे हैं मैनें ... हाँ देखे हैं !

Bless Evening 💐🌺