“होठों पे, खून रहने दो"
वो दरमियां नहीं मेरे,
ये सुकुन रहने दो,,
पौंछो नहीं, चोटों को,
होठों पे, खून रहने दो...
मेरी हालत-ए-बेहाल है,
सहूलियत दिखाओ ना, मुझे अभी,,
गिर गया हूं, नजर से,
फर्श पे भी, पड़े रहने दो,,
मैं झूंझ रहा...
ये सुकुन रहने दो,,
पौंछो नहीं, चोटों को,
होठों पे, खून रहने दो...
मेरी हालत-ए-बेहाल है,
सहूलियत दिखाओ ना, मुझे अभी,,
गिर गया हूं, नजर से,
फर्श पे भी, पड़े रहने दो,,
मैं झूंझ रहा...