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सच्चे प्यार की तलाश(Ashish)
ना हाथ मैंने छोड़ा था,ना मुंह तूने मोड़ा था,बस हो रहा था वो किस्तम ने जो निचोड़ा था, हां निगोरा था , सीधा सा मैं छोरा था
देखा था तुझको जबसे, कुछ तो मुझको हो रा था, हल्ला सा खुमार था, प्यार का बुखार था मुझे नही पता पर ये आशीष, आशिक तेरा हो रा था। अब देर रात को मैं सो...