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सच्चे प्यार की तलाश(Ashish)
ना हाथ मैंने छोड़ा था,ना मुंह तूने मोड़ा था,बस हो रहा था वो किस्तम ने जो निचोड़ा था, हां निगोरा था , सीधा सा मैं छोरा था
देखा था तुझको जबसे, कुछ तो मुझको हो रा था, हल्ला सा खुमार था, प्यार का बुखार था मुझे नही पता पर ये आशीष, आशिक तेरा हो रा था। अब देर रात को मैं सो रहा था, तेरे सपनों में खो रा था, मुझे नही पता,पर कुछ तो मुझको हो रा था,पर बता दिया तूने ,कि ये मेरा वहम है,सपने मेरे डर गए, गए ये सहम से, तेरे इस रहम से, मैं जिन्दगी से हार गया, दिल के ईस ज्जबात को कलम से उतार गया,निखार किया, विचार किया, आत्महत्या करने का,
मरने का, तेरी यादों के साथ, पर मर भी जाता कैसे मेरी मां थी मेरे साथ , जिसने पकड़ा मेरा हाथ, अब भी मैं कर रहा सच्चे प्यार की तलाश -(real pain (Ashish 😓)
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