नारी दौर है बुरा,,,,
राधा राणा की कलम से....
नारी ! दौर है बुरा,विवेक नहीं छोड़ना।
आफताब के जेसो से, दिल नहीं जोड़ना।
विवाह पूर्व वर के,उचित नहीं संग रहना,
आधुनिक सभ्यता की,दौड़ नहीं दौड़ना।
प्रेम हो माता का, व पिता का तुम मान हो,
इनका...
नारी ! दौर है बुरा,विवेक नहीं छोड़ना।
आफताब के जेसो से, दिल नहीं जोड़ना।
विवाह पूर्व वर के,उचित नहीं संग रहना,
आधुनिक सभ्यता की,दौड़ नहीं दौड़ना।
प्रेम हो माता का, व पिता का तुम मान हो,
इनका...