क्या आज भी अकेले हो तुम
चालक नहीं मासूम हो तुम ,
बोलना चाहते हो फिर भी खामोश हो तुम
इस दुनिया की खूबसूरती से डर लगता है मुझे क्या इस अंधेरे से रोशनी से निकलने की अखरी आस हो तुम ।
गलत तुम नही तो गलत मैं भी नही , अगर है गलती किसी की तो माफी मांगते है हम , तुझे अंधेरे मैं गिरने वाला हर इंसान है यह , लेकिन रोशनी की तरफ लेजाने वाला कोई नही ।
क्या जिंदगी है मेरी है तमन्ना लेकिन आस नही , कमी है कई सबकी नजरों मैं मेरे अंदर , लेकिन मुझे सही कहने वाला कोई नही , क्या मेरी ही तरह आज भी अकेले हो तुम , क्या आज भी अकेले हो तुम
© copyrightuzma8067
बोलना चाहते हो फिर भी खामोश हो तुम
इस दुनिया की खूबसूरती से डर लगता है मुझे क्या इस अंधेरे से रोशनी से निकलने की अखरी आस हो तुम ।
गलत तुम नही तो गलत मैं भी नही , अगर है गलती किसी की तो माफी मांगते है हम , तुझे अंधेरे मैं गिरने वाला हर इंसान है यह , लेकिन रोशनी की तरफ लेजाने वाला कोई नही ।
क्या जिंदगी है मेरी है तमन्ना लेकिन आस नही , कमी है कई सबकी नजरों मैं मेरे अंदर , लेकिन मुझे सही कहने वाला कोई नही , क्या मेरी ही तरह आज भी अकेले हो तुम , क्या आज भी अकेले हो तुम
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