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ख्वाहिश तन्हाई को जब पाती है
ख्वाहिश तन्हाई को जब पाती है
जिंदगी एक ख्वाब बन जाती है

ज़माना धुँधला हुआ जाता है
तन्हाई जाने क्या क्या पिलाती है

मैं ख़यालों से खेलने लगता हूँ
फिर नींद भी मुझे नहीं आती है

जिंदगी कुछ सीख इन ख्यालों से
जिंदगी तो ऐसे ही जी जाती है

सूरज डूब गया तो क्या हुआ
रात में चांदनी दीप जलाती है

अब मैं बच्चा नहीं रहा ऐ दुनिया
तेरी हर बात समझ में आती है

नशा से नहीं नशेड़ियो से है दिक्कत
उनकी खुदग़र्ज़ी मुझे नहीं भाती है

मैं उँगलियाँ मोबाइल पे रखता हूँ
नहीं तो मेरी शायरी रूठ जाती है

कुछ बुरा लगे तो माफ कर देना
इस नाचीज़ से गलती हो जाती है

चलो अब जरा सो भी लिया जाए
क्योंकि मम्मी थप्पड़ से जगाती है

प्रियांशु सिंह
@amazepriyanshu