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नहीं लगता
तारीफ़ ना किया करिए मेरी मुझे अच्छा नहीं लगता
नज़रों से नज़र ना फेरिये मुझे अच्छा नहीं लगता।
हर कोई है अदाकार यहा अपनी अपनी ज़िंदगी में
हर इंसान अपनी शक्सियत में सच्चा नहीं लगता।
दिन गुज़रे रातें भी कटी इंतज़ार में किसी की
आसमां रोया या ज़मी अफसूर्दा पक्का नहीं लगता।
बरसातों के मौसम थे हिज्र का मौसम भी आया
भीगे हुए थे हम फिर भी मेरा मकान कच्चा नहीं लगता।
नज़रों से नज़र ना फेरिये मुझे अच्छा नहीं लगता।
हर कोई है अदाकार यहा अपनी अपनी ज़िंदगी में
हर इंसान अपनी शक्सियत में सच्चा नहीं लगता।
दिन गुज़रे रातें भी कटी इंतज़ार में किसी की
आसमां रोया या ज़मी अफसूर्दा पक्का नहीं लगता।
बरसातों के मौसम थे हिज्र का मौसम भी आया
भीगे हुए थे हम फिर भी मेरा मकान कच्चा नहीं लगता।
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