...

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ज़िंदगी
जितना हम समझते थे,
उतनी सीधी नहीं है,
ज़िंदगी,
चतुर, चंचल, चालाक,
एक नंबर की कमीनी है,
ज़िंदगी,
पर जि़द है हमारी,
पैमाने में भरकर,
मय की मानिंद,
शौक़ से पीनी है,
ज़िंदगी,
मौत तो आनी है,
आएगी एक बार,
मरने से पहले,
हजा़र बार जीनी है,
ज़िंदगी।
- राजेश वर्मा

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