...

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मां मैं पढ़ रही हूं
कहती थी मुझे तू लाली खूब पढ़ना
पढ़कर आगे बढ़कर कुछ करना
तेरे कथनों को आज भी जङ रही हूं
देख मां मैं आज भी पढ़ रही हूं...

जिंदगी की आपा धापी में न हारी हूं
तेरे आशीर्वाद से सक्षम नारी हूं
हर पग मैं आगे बढ़ रही हूं
देख मां मैं आज भी पढ़ रही हूं...

वक्त ने मुझे बहुत हराया है
किस्मत ने भी खूब गिराया है
फिर भी आज मैं लङ रही हूं
देख मां मैं आज भी पढ़ रही हूं...

जमाने ने मुझे भी आजमाया है
कुछ ने हंसाया कुछ ने रुलाया है
हर जज्बे को लेकर भिङ रही हूं
देख मां मैं आज भी पढ़ रही हूं...

है विश्वास मुझे कुछ कर जाउंगी
तेरे कथनों को कुछ रच जाउंगी
आज भी मैं बनने कुछ सज रही हूं
देख मां मैं आज भी पढ़ रही हूं...
© kumar vikas