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अब भी समय है जाग जाओ!
वाद हुआ, विवाद हुआ,
प्रतिवाद हुआ,
बात बढ़ गई,
त्यौरियां चढ़ गईं,
समुदायिक भावनाएं
परस्पर लड़ गईं,
घात हुआ, आघात हुआ,
प्रतिघात हुआ,
रक्तरंजित पड़े हैं सब,
मरणासन्न,
किंतु विधान कौन मानता है,
संविधान कौन जानता है,
राष्ट्र सम्मान कौन मानता है?!
समय है अभी भी,
जाग जाओ, वाद-विवाद,
घात-आघात, प्रतिघात,
वैमनस्य सब भूल जाओ,
तिरंगे के छत्रछाया तले
जयहिंद का बुलंद नारा लगाओ!!
—Vijay Kumar—
© Truly Chambyal
प्रतिवाद हुआ,
बात बढ़ गई,
त्यौरियां चढ़ गईं,
समुदायिक भावनाएं
परस्पर लड़ गईं,
घात हुआ, आघात हुआ,
प्रतिघात हुआ,
रक्तरंजित पड़े हैं सब,
मरणासन्न,
किंतु विधान कौन मानता है,
संविधान कौन जानता है,
राष्ट्र सम्मान कौन मानता है?!
समय है अभी भी,
जाग जाओ, वाद-विवाद,
घात-आघात, प्रतिघात,
वैमनस्य सब भूल जाओ,
तिरंगे के छत्रछाया तले
जयहिंद का बुलंद नारा लगाओ!!
—Vijay Kumar—
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