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खुद क़ो बदल के देखे जरा
खुद क़ो बदल के देखे जरा
सायद भर जाये ज़ख्म हरा
एक नई शुरुआत करते है
खुद से ही खुद के लिए बात करते है
ना किसी क़ो समझना ना दिखाना
प्यार की गहराई
ज़ब मुक़ददर मे है हीतन्हाई
रिश्ते जोड़ लेना और निभाना
अलग बात है
क्यों डरना ज़ब हर सुबह के बाद रात है
ना करेंगे सिकवे शिकायत कोइ ...