...

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** प्यार जताना न आया **
वो कहते रहे हमसें ,कि हमें प्यार निभाना न आया,
हम बैठे रहे सर झुकाए हमें प्यार जताना न आया,

रोते रहे चुपचाप हम , हश्र इश्क़ का जानकर,
नज़र मिलाकर भी हमें , मुस्कुराना न आया,

यादों में रूठे इश्क़ का ,हम शोक मनाते रहे,
उम्र गुज़री उदासियों में ,पर आँसू बहाना न आया,

वो चन्द अश्क़ चढा गए , इश्क़ की तन्हा मज़ार पर,
वो राह देखते रहे , हमें रूठो को मनाना न आया,

भीड़ से होकर भी गुज़रे इतना तन्हाई से हम,
जो ग़म बंधें थे दामन में, हमें पीछा छुड़ाना न आया।।

-पूनम आत्रेय