...

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koi to hai......!
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन पंछी बन यूंही मंडराता इधर उधर
दूर रहकर दिल पे डेहरा डाल रहा कोई;
ना कोई पहचान ना ही जाना सा कोई,
फिर भी ना जाने क्यों अपना लगता कोई;

© પૂર્વી