...

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मांसाहारियों का संहार करो।
जो प्राणहीन है वहीं किसी के प्राण लेते हैं ‌।
वो मात्र मांस के पिंड है मांस खा के बनते हैं।
वो करुण आवाज में जीने का गुहार करती है
सभी गुंगें बहरे है उससे धर्म का वो दुष्प्रचार करते हैं।
हाय! मेरा हृदय भी मुझे पाषाण का मिला है।
ऐसे परिवेश में...