एक कविता
मैं एक रात तुम्हारे सिरहाने
एक कविता छोड़ जाऊंगी,
ये बिना सोचे कि वो अच्छी
है या बुरी...
अगली सुबह जब उनिंदी आंखो से
जिनमे अब भी बीती रात के जज़्बात होंगे,
तुम मेरे कोरे शब्दों को पढ़ना
जो मैंने सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कल्पना
कर के लिखी है,उम्मीद...
एक कविता छोड़ जाऊंगी,
ये बिना सोचे कि वो अच्छी
है या बुरी...
अगली सुबह जब उनिंदी आंखो से
जिनमे अब भी बीती रात के जज़्बात होंगे,
तुम मेरे कोरे शब्दों को पढ़ना
जो मैंने सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कल्पना
कर के लिखी है,उम्मीद...