...

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मेरी हालत
भीड़ भाड़ की इस दुनियामें
आज मै अकेला खड़ा हु
इस समय की रफ्तार के सामने
मैं बेबस होता जा रहा हु

दिन मै सबके साथ वक्त की जंजीरे तोड़कर
आगे बढ़ने की दौड़ मै लगा रहता हूं
पर कही ना कही उन्ही जंजीरो के सहारे
मैं अपनी यादो की खोज मै भटकता रहता हूं

इस दिल की मासुमियत
अब बस नाम केलिए रहे गई है
ना सासो का मोल भाव
बस दिखाने की चीज़ें बन गई है

आँसुओ का थो क्या है
वो कभी ना कभी थम ही जायेंगे
मेरी अस्ली पहचान की तरह
वो भी साथ छोड़कर आगे बढ़ जायेंगे












© Sohan Raut