इश्क़ है तुमसे
हाँ.....इश्क़ है तुमसे हमें, लो सनम हम आज ये कहते हैं,
यूँ ही नहीं बेरूख़ी-नज़रअंदाज़ी तुम्हारी बारहा सहते हैं !!
अब कब तलक भीख अपनी चाहतों की हम मांगे तुझसे,
एक बार पूछो तो सही हमसे, कैसे तुम बिन हम रहते हैं !!
...
यूँ ही नहीं बेरूख़ी-नज़रअंदाज़ी तुम्हारी बारहा सहते हैं !!
अब कब तलक भीख अपनी चाहतों की हम मांगे तुझसे,
एक बार पूछो तो सही हमसे, कैसे तुम बिन हम रहते हैं !!
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