...

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इश्क़ है तुमसे
हाँ.....इश्क़ है तुमसे हमें, लो सनम हम आज ये कहते हैं,
यूँ ही नहीं बेरूख़ी-नज़रअंदाज़ी तुम्हारी बारहा सहते हैं !!

अब कब तलक भीख अपनी चाहतों की हम मांगे तुझसे,
एक बार पूछो तो सही हमसे, कैसे तुम बिन हम रहते हैं !!

लेकर आया फ़रवरी मौसम-ए-इश्क़, खुमारी चारों ओर,
सबको देखा रंग-ए-इश्क़ में, फ़क़त हम ही तो जलते हैं !!

ज़ज़्बातों को मान लिया, दिल के अरमानों को जान लिया,
तुम जान लो हाल-ए-दिल, तुम्हारे बिना पल-पल मरते हैं!!

अब इश्क़ है तो है तुमसे और तुम्हीं से ही रहेगा 'मयू' को,
तुम मानों या ना मानो शब-ओ-रोज़ एहसासों में बहते हैं !!

@Mayuri1609
© Mayuri Shah