...

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माँ-पापा
जिन्होंने लिखा जीवन अपना नाम मेरे,
सोचा उन्हीं पर आज कुछ लिख दूँ।
मगर शब्द ना मिले इस काबिल मुझे,
जो उनकी प्रतिमा को आकार दे सकूँ।

वो शरारत भरा बचपन जब याद आता है,
उस मार में छिपा प्यार दिल को लुभाता है।
उस...