गिरे हुए फूलों के पास भी कहने के लिए बहुत कुछ होगा
शुष्क मौसम में डाली से टूट कर, फूल कहां फिर जी पाते हैं
न कह सके न कह पाए, कितना कुछ मन में दबा रहता होगा,
कोई प्यार से ज़ख्मों को सहला दे, पाषाण पिघल निकल आए
गिरे हुए फूलों के पास भी कहने के लिए बहुत कुछ होता होगा,
तन्हा...