...

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ए मालिक
ए मालिक! देख कितना बदल गया तेरा इंसान,
रिश्ते कच्चे धागों की तरह टूट रहें है,
अपने ही अपनों को लूट रहे हैं।
आजकल घर शतरंज की बैसाख बन चुके...