पुरुष, भगवान होता है।
पुरुष सिर्फ पुरुष नहीं होता है।
पुरुष एक भारी सा शब्द नहीं होता है,
बल्कि एक कोमल सा फूल होता है।
क्योंकि वो उस मासूम मां से पैदा होता है।
बचपन से पुरुष "judge" होता है।
उसको "responsibility" में घेरा जाता है।
तू बेटा है, भाई है, पति है !
तू एक पुरुष है,
कैसे रो सकता है।
दुनिया की वजह से पुरुष रो नहीं पाता है।
इसलिए शायद पुरुष चुप रहता है।
बोलता कम है,
खुदके भावनाओ को छिपाने में माहिर होता है।
पुरुष जितना सहता है,
उतना कोई नही सहता है।
इस नारीवादी की संसार में,
आज पुरुष खुदको अकेला पता है।
पर फिर भी वो नहीं घबराता है।
दुनिया कहती है,
नारी पुरुष का शक्ति है,
पर पुरुष के बिना भी नारी अधूरी है।
पुरुष एक बाप होता है,
जिसके साया से एक बच्चा बढ़ता है।
एक भाई होता है,
जो अपनी बहन को रक्षा करता है।
एक प्रेमी होता है,
जो अपनी प्रेमी के सारे ख्वाइश पूरा करता है।
एक दोस्त होता है,
जो दोस्ती निभाने के लिए बेजिजक अपनी जान से लड़ जाता है।
पुरुष तो समाज होता है।
पुरुष तो दुनिया होता है।
नारी भले ही शक्ति है,
पर पुरुष तो ईश्वर है।
ब्रम्हा , विष्णु, महेश्वर!
पुरुष होता है।
अकेला कहीं न रह जाए पुरुष,
इसलिए सबको साथ रखता है।
पुरुष पुरुष होता है,
पुरुष भगवान होता है।
इसलिए शायद पुरुष हमेशा चुप रहता है।
© dikshya
पुरुष एक भारी सा शब्द नहीं होता है,
बल्कि एक कोमल सा फूल होता है।
क्योंकि वो उस मासूम मां से पैदा होता है।
बचपन से पुरुष "judge" होता है।
उसको "responsibility" में घेरा जाता है।
तू बेटा है, भाई है, पति है !
तू एक पुरुष है,
कैसे रो सकता है।
दुनिया की वजह से पुरुष रो नहीं पाता है।
इसलिए शायद पुरुष चुप रहता है।
बोलता कम है,
खुदके भावनाओ को छिपाने में माहिर होता है।
पुरुष जितना सहता है,
उतना कोई नही सहता है।
इस नारीवादी की संसार में,
आज पुरुष खुदको अकेला पता है।
पर फिर भी वो नहीं घबराता है।
दुनिया कहती है,
नारी पुरुष का शक्ति है,
पर पुरुष के बिना भी नारी अधूरी है।
पुरुष एक बाप होता है,
जिसके साया से एक बच्चा बढ़ता है।
एक भाई होता है,
जो अपनी बहन को रक्षा करता है।
एक प्रेमी होता है,
जो अपनी प्रेमी के सारे ख्वाइश पूरा करता है।
एक दोस्त होता है,
जो दोस्ती निभाने के लिए बेजिजक अपनी जान से लड़ जाता है।
पुरुष तो समाज होता है।
पुरुष तो दुनिया होता है।
नारी भले ही शक्ति है,
पर पुरुष तो ईश्वर है।
ब्रम्हा , विष्णु, महेश्वर!
पुरुष होता है।
अकेला कहीं न रह जाए पुरुष,
इसलिए सबको साथ रखता है।
पुरुष पुरुष होता है,
पुरुष भगवान होता है।
इसलिए शायद पुरुष हमेशा चुप रहता है।
© dikshya