पुरुष, भगवान होता है।
पुरुष सिर्फ पुरुष नहीं होता है।
पुरुष एक भारी सा शब्द नहीं होता है,
बल्कि एक कोमल सा फूल होता है।
क्योंकि वो उस मासूम मां से पैदा होता है।
बचपन से पुरुष "judge" होता है।
उसको "responsibility" में घेरा जाता है।
तू बेटा है, भाई है, पति है !
तू एक पुरुष है,
कैसे रो सकता है।
दुनिया की वजह से पुरुष रो नहीं पाता है।
इसलिए शायद पुरुष चुप रहता है।
बोलता कम है,
खुदके भावनाओ को छिपाने में माहिर होता है।
पुरुष जितना सहता है,
उतना कोई नही सहता है।
इस...
पुरुष एक भारी सा शब्द नहीं होता है,
बल्कि एक कोमल सा फूल होता है।
क्योंकि वो उस मासूम मां से पैदा होता है।
बचपन से पुरुष "judge" होता है।
उसको "responsibility" में घेरा जाता है।
तू बेटा है, भाई है, पति है !
तू एक पुरुष है,
कैसे रो सकता है।
दुनिया की वजह से पुरुष रो नहीं पाता है।
इसलिए शायद पुरुष चुप रहता है।
बोलता कम है,
खुदके भावनाओ को छिपाने में माहिर होता है।
पुरुष जितना सहता है,
उतना कोई नही सहता है।
इस...