...

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अंशमान।

(मन और तारे प्रकृति का अंश है,वह प्रकृति की तुलना में अपूर्ण है)

कैसे टूट-टूट कर शिखरों से मन गिरे
वजूद नहीं ऐसे बीखरो से घन घिरे
अगणित हो अनेक हो,पर न्युनतम एक पर्ण हो
तुम प्रकाश हो पर अपूर्ण हो
बहु संख्य वेग तुम्हारा व्यापक हो
असीम ब्रह्मांड के पार न...