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शायरी मोहब्बत
जा जाना है तो तुम मेरी नजरों से दूर हो जा क्योंकि तुम्हें मुझ पर एतबार नहीं है प्यार करता था जी भर के तुझको लेकिन तुम कहती हो बे प्यार प्यार नहीं है अरे तुमने क्या देखा मोहब्बत के जलवे हमने तेरे गम में हर रोज आंखें बिजॉया करते हैं सुबह शाम तन्हाई लेकर यूं ही गम की भाव में हर रोज तेरे खातिर रोया करते हैं _
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