मैं अपनी बात लिखता हूं ।
मैं आज अपनी बात लिखता हूँ,
होती है इन पर्दो में घुटन मुझे ,
मैं सरेआम औकात लिखता हूँ ।
नहीं परवाह मुझे इन बनावट के उजालों की,
मैं धूप में काली रात लिखता हूँ ।
बहुत कुछ सहा है,
बहुत कुछ सहना बाकी है,
मैं हालात को अपने हाथ लिखता हूँ ।
आसान नही है जिंदगी मेरी,
मैं जिंदगी को एक घात लिखता हूँ ।
खुद ही खुद की समझ से बाहर हूँ,
मैं ऐसा जज्बात लिखता हूं ।
कह...
होती है इन पर्दो में घुटन मुझे ,
मैं सरेआम औकात लिखता हूँ ।
नहीं परवाह मुझे इन बनावट के उजालों की,
मैं धूप में काली रात लिखता हूँ ।
बहुत कुछ सहा है,
बहुत कुछ सहना बाकी है,
मैं हालात को अपने हाथ लिखता हूँ ।
आसान नही है जिंदगी मेरी,
मैं जिंदगी को एक घात लिखता हूँ ।
खुद ही खुद की समझ से बाहर हूँ,
मैं ऐसा जज्बात लिखता हूं ।
कह...