...

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... हर एक लम्हा ...
हर एक लम्हा तेरी बाहों में गुजार दू,
जी तो ये चाहे तुम्हे प्यार ही प्यार दू.

आ ज़रा, और भी तो, तू मेरे करीब,
तुम्हारी, उलझी हुई, जुल्फें सवार दू.

लबों पे रख दे अपने लबों के प्याले,
पास आ तुम्हे किस्सिया बार बार दू.

इश्क ए एहसास तू भी महसूस करे,
इश्क मेरा, तेरे सीने में भी, उतार दू.

फूल सा खिल उठे तन मन तुम्हारा,
आ, अपने हिस्से की, तुम्हे बहार दू.

© एहसास ए मानसी