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Roshni
वार बुरा तो होता है
क्या चुप रहना भी हल है क्या
आग लगाए बगिया में कोई
फिर जले हुए मैं भी कल है क्या
कुछ देश भरे हैं लालच से
बचना उनसे मुमकिन है क्या
दूजो को है लड़वाते बस
पत्थर उनके घर पर भी पड़ते हैं क्या
दूर बैठकर दे रहे दिलासा
इससे बुरा भी कोई कल है क्या
हुई लड़ाई सदियों से ही
क्या इससे बचना संभव है क्या।।
© Rahul Panghal
क्या चुप रहना भी हल है क्या
आग लगाए बगिया में कोई
फिर जले हुए मैं भी कल है क्या
कुछ देश भरे हैं लालच से
बचना उनसे मुमकिन है क्या
दूजो को है लड़वाते बस
पत्थर उनके घर पर भी पड़ते हैं क्या
दूर बैठकर दे रहे दिलासा
इससे बुरा भी कोई कल है क्या
हुई लड़ाई सदियों से ही
क्या इससे बचना संभव है क्या।।
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