...

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रंग दोस्ती के
इन्तज़ार आज भी है उन गलियों में तुम्हारा
जहाँ मिलकर हम गुफ्तगू किया करते थे
थाम लिया करते थे अक्सर हाथों से हाथ
जब हम कठिनाइयों से घिरा करते थे
उम्मीदे मिलकर उडान भरती थी हमारी
मंजिल के पास कदमों के निशा मिला करते थे
आओ मिल बैठे एक बार फिर
दिलों के तार जहाँ मिला करते थे
चहरे पर मुस्कान जहाँ खिला करते थे
कहाँ हो दोस्तों
चलो एक बार फिर उस दुनिया में
ले हाथों में चाय के गिलास
चल मिलकर
कर लें जुस्तजू वो भी पूरी
जो रह गई थी कभी अधूरी
© Diल की पाti (Deepa Rani)🖋..