...

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नारी की मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जिस्म बेचकर भी पेट पालती नारी है,
वैश्या,कुलटा जैसे नामों से तब भी,,
सम्बोधित की जाती वह नारी हैं,,,
हालातों से लड़कर,खुद से लड़कर
इस नर्क को जो झेल पाती हैं
वो मजबूरियों से झुझती नारी हैं।
@रूह की कलम से।