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हर काम को छोड कर मै तुम्हारे लिये आया हु..!!
हर काम को छोड कर मै तुम्हारे लिये आया हु,
तन्हाइ मे बैठ तुझ पर एक गजल लिख रहा हु,
लफ्ज़ो के ही जरिये तो मै रिश्तेदारी सिख रहा हु,
कमिया है मुझमे लेकीन अभी मै तुझे परख रहा हु,
तुम्हारी आखो मे जो हल्का सा शोर होता है,
मिलने के पहले तुझसे मे एक तल्ख रहा हु,
मै हसता रहता हु अब सारी परेशानीया भुल कर,।
हा लफ्ज़ को तेरे मै अपने दिल के पास रख रहा हु।
तन्हाइ मे बैठ तुझ पर एक गजल लिख रहा हु,
लफ्ज़ो के ही जरिये तो मै रिश्तेदारी सिख रहा हु,
कमिया है मुझमे लेकीन अभी मै तुझे परख रहा हु,
तुम्हारी आखो मे जो हल्का सा शोर होता है,
मिलने के पहले तुझसे मे एक तल्ख रहा हु,
मै हसता रहता हु अब सारी परेशानीया भुल कर,।
हा लफ्ज़ को तेरे मै अपने दिल के पास रख रहा हु।
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