...

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जहान
सोचू उस कल की बातें ,
बीत गए आज जो,
क्यो पढू उस कल को,
कभी न था मेरे साथ जो।

क्या होगें पूरे सपने मेरे भी,
क्या कर पाऊँगी पूरा उन उम्मीदों को भी,
क्या पूरे होंगे वो जंगल कभी,
क्या हूँ मैं अभी।

उस असमान में रंगना चाहूँ,
उसी की...