...

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क्या चाहिए....
जीवन को जगमग करती तू ज्योति की ज्वाला
कान्हे की तू राधिका प्यारी है तेरा रूप निराला
तू ही नैया तू ही खेवैया तू बहती लहरों सी धारा
संग तेरे मै बहा जा रहा और मुझे क्या चाहिए
तू है संग मेरे मुझे जिंदगी से और क्या चाहिए
तू ही सब मेरा रब से न अब कुछ और चाहिए ....
© unknown_writes