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मोबाइल
जाने कैसा युग है लाया,
जबसे ये मोबाइल है आया..
दूरियां मिटाकर इसने,
जाने कैसे दूरियाँ कर भी दी..
पहले लगता था कब
नानी घर जायेंगे,
कब छुट्टियां लगेगी स्कूल की,
कब मामा घुमाने ले जायेंगे..
अब व्हाट्सप्प पर ही सब अपना हाल बता दिया करते है,
वीडियो कॉल के ज़रिये देख भी लिया करते है..
इतना आसान होकर भी
क्यों मुश्किल जैसा लगता है..
क्यूँ सबसे मिलने का सपना
टूटने जैसा लगता है..
खुशियां अपनों के संग जो थी
उन खुशियों में उदासी लाया,
जाने कैसा युग है लाया
जबसे ये मोबाइल है आया..
घर में होते चार लोग तब
संग बैठ बातें करते थे..
कोई किसी की टांग खींचते
कोई कभी शरारत करते थे..
जैसा भी था वो पल
फिर भी कितना अच्छा लगता था
अपनों के बीच होना
मानो सबसे सुन्दर लगता था..
अब हर एक के पास अपना खुद का फ़ोन है
किसी को खबर नहीं
किस हालत में कौन है..
मिठास तो दिखाई देती नहीं
हा कडवाहट ज़रूर है लाया,
जाने कैसा युग है लाया
जबसे ये मोबाइल है आया..
© IndoreKeGopal
जबसे ये मोबाइल है आया..
दूरियां मिटाकर इसने,
जाने कैसे दूरियाँ कर भी दी..
पहले लगता था कब
नानी घर जायेंगे,
कब छुट्टियां लगेगी स्कूल की,
कब मामा घुमाने ले जायेंगे..
अब व्हाट्सप्प पर ही सब अपना हाल बता दिया करते है,
वीडियो कॉल के ज़रिये देख भी लिया करते है..
इतना आसान होकर भी
क्यों मुश्किल जैसा लगता है..
क्यूँ सबसे मिलने का सपना
टूटने जैसा लगता है..
खुशियां अपनों के संग जो थी
उन खुशियों में उदासी लाया,
जाने कैसा युग है लाया
जबसे ये मोबाइल है आया..
घर में होते चार लोग तब
संग बैठ बातें करते थे..
कोई किसी की टांग खींचते
कोई कभी शरारत करते थे..
जैसा भी था वो पल
फिर भी कितना अच्छा लगता था
अपनों के बीच होना
मानो सबसे सुन्दर लगता था..
अब हर एक के पास अपना खुद का फ़ोन है
किसी को खबर नहीं
किस हालत में कौन है..
मिठास तो दिखाई देती नहीं
हा कडवाहट ज़रूर है लाया,
जाने कैसा युग है लाया
जबसे ये मोबाइल है आया..
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