...

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ये खत नहीं जज्बात है मेरे…❤️
❤️"खत"❤️
ये खत नहीं जज्बात है मेरे,
तुमसे ही जुड़े ख्यालात है मेरे,

मेरे साहिब,
कैसे हो तुम ?
मुद्दत हो गयी तुमसे मिले हुए,
ना कोई खत, ना कोई खबर, कभी हमारी याद भी आती है तुम्हे ?

माना कि मेरी तुम्हारी मंजिले अलग हो गयी, पर कुछ पल तो जिंदगी में साथ चले थे,
अपनी जिंदगी के सपने साथ बुने थे ।

ना था गुमां की इस कदर दूर हो जायेगे, अपनी मोहब्बत के कश्मे तोड़ जायेंगे,
लगी दुनियां की नजर, पड़ गई पैरो में बेड़िया,,

बजने लगी मेरे घर शहनाई, मेरी मौत मुझे तुमसे विदा करने आई,

दुर हूं पर जिंदा हूं, अपनी वफा पर शर्मिंदा हूं, ना मिली मौत मुझे ऐ जाने वफा कैसे तुमसे बिझड़ कर जिंदा हूं....

कभी यादो में मेरे अश्क निकल पड़ते है,
मालुम है ये अश्क तुम तक पहुंच जाते है, मेरे लिये तुम आज भी तड़प जाते हो ।

जहां भी रहना खुश रहना,
अपनी वफा को याद रखना...
बस आपकी..... ~P.s