...

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दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मुझे दूर रह रहा कोई,
रात में चाँद रहा कोई
में दिन का सूरज रहा कोई,
जो चाहत है मेरी वो रहा कोई,
नींद में शायद एक सपना रहा कोई,
तु दूर है पर पास रहा कोई,
भूलने की बीमारी लग गई है कोई,
अब तो उमीद है तू याद रहे या कोई,
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