तेरे निशाँ
यादों के गुलदस्ते में
तेरे निशां कायम आज भी है...
रात के बाहों में
तेरे दिए दर्द घेरते आज भी है...
तन्हाइयो के सन्नाटे में
आसुओ के समंदर बहते आज भी है...
मोहब्बत के दरख्तों में
तिल-तिल कर मरते हम आज भी है ...
तेरे निशां कायम आज भी है...
रात के बाहों में
तेरे दिए दर्द घेरते आज भी है...
तन्हाइयो के सन्नाटे में
आसुओ के समंदर बहते आज भी है...
मोहब्बत के दरख्तों में
तिल-तिल कर मरते हम आज भी है ...
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