अपना चेहरा जब कभी खोता हूँ
अपना चेहरा जब कभी खोता हूँ
मैं जिन्दगी जीता नहीं ढोता हूँ
मेरी हँसी की तासीर तो देखिए
हँसने के बाद छुप के रोता हूँ
मुझपे इल्जाम है कि जमीनों पर
मैं फूलों के बीज बोता हूँ
अंधेरों से कुछ इस कदर वहशत है
कि चराग़े-दिल जला के सोता हूँ
अपनी रूह का एहसास होता है
जब तन्हाईयों में मशरूफ होता हूँ
मैं जिन्दगी जीता नहीं ढोता हूँ
मेरी हँसी की तासीर तो देखिए
हँसने के बाद छुप के रोता हूँ
मुझपे इल्जाम है कि जमीनों पर
मैं फूलों के बीज बोता हूँ
अंधेरों से कुछ इस कदर वहशत है
कि चराग़े-दिल जला के सोता हूँ
अपनी रूह का एहसास होता है
जब तन्हाईयों में मशरूफ होता हूँ
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