...

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मेरा चांद....
शहर शहर, नजर नजर, इधर उधर
वक्त के सभी पहर , ए चांद तुझको ढूंढता
पता सभी से पूछता ।

मन बहुत अजीब है मगर तू ही बहुत दूर है तुझे ढूंढते इधर उधर न जाने किधर...