...

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मेरा चांद....
शहर शहर, नजर नजर, इधर उधर
वक्त के सभी पहर , ए चांद तुझको ढूंढता
पता सभी से पूछता ।

मन बहुत अजीब है मगर तू ही बहुत दूर है तुझे ढूंढते इधर उधर न जाने किधर किधर
मिली नहीं जब कोई खबर
दिल पर मेरे हुआ असर

हमने दिल को समझा दिया
कान मरोड़ कर प्यार से दो लगा दिया
हमने कहा वो हूर है , जन्नतों का नूर है
उसको तेरी क्या फिकर
वो अपनी डगर तू अपनी डगर
तू अपनी डगर वो अपनी डगर


© strawberrysaurabh