इंसान के नजरिए 🥺🥺🥺
सबको ऐसा ही क्यों लगता है
की मर्द को दर्द नहीं होता
वो कमजोर नही होता
होता है बहुत कमजोर
लेकिन वो अपनी पीढ़ा
किसी को बताता नही
वो छुपा लेता है और
खुदको खुदमें ढुंढता है
लेकिन वो मिलता ही नहीं
वो खो गया है जिम्मेदारियों में
खुदकी खुशी किसमे है
भूल गया है
सिर्फ नशे को साथी मान लिया
और उसी में अपनी जिंदगी ढूंढ रहा है
लेकिन अफसोस उससे
तो कुछ नही मिला 🥺🥺
जो पास थे वो भी चले गए
जो अपने थे पराए हो गए
सिवा ताने के कुछ नही मिला
जिंदगी बेरंग सी हो गई
इंसान की कमी यही है
कोई तकलीफ है
वो घर में बताने के बजाए
बाहर वालो को बताते है
वो बाहर वाले फायदा उठा कर
और सब कुछ बिगाड़ देते है
जैसे सब तुमको अपना समझकर तुमको
सब बता दिया करते है तुम भी बता दो
अपने कभी गलत सलाह नहीं देते
सिवाए बाहर वालो के जो कभी किसी के
नहीं होते
तकलीफ किसको नहीं होती
घर में रहने वाली घर चलाने वाली
जिस तरह तुमको कमाने के तरीके
ढूंढने...
की मर्द को दर्द नहीं होता
वो कमजोर नही होता
होता है बहुत कमजोर
लेकिन वो अपनी पीढ़ा
किसी को बताता नही
वो छुपा लेता है और
खुदको खुदमें ढुंढता है
लेकिन वो मिलता ही नहीं
वो खो गया है जिम्मेदारियों में
खुदकी खुशी किसमे है
भूल गया है
सिर्फ नशे को साथी मान लिया
और उसी में अपनी जिंदगी ढूंढ रहा है
लेकिन अफसोस उससे
तो कुछ नही मिला 🥺🥺
जो पास थे वो भी चले गए
जो अपने थे पराए हो गए
सिवा ताने के कुछ नही मिला
जिंदगी बेरंग सी हो गई
इंसान की कमी यही है
कोई तकलीफ है
वो घर में बताने के बजाए
बाहर वालो को बताते है
वो बाहर वाले फायदा उठा कर
और सब कुछ बिगाड़ देते है
जैसे सब तुमको अपना समझकर तुमको
सब बता दिया करते है तुम भी बता दो
अपने कभी गलत सलाह नहीं देते
सिवाए बाहर वालो के जो कभी किसी के
नहीं होते
तकलीफ किसको नहीं होती
घर में रहने वाली घर चलाने वाली
जिस तरह तुमको कमाने के तरीके
ढूंढने...