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मैं हो तो जाऊं पहले जैसा, मगर भूल गया हूँ मैं था कैसा
मैं हो तो जाऊं पहले जैसा, मगर भूल गया हूँ मैं था कैसा।

वक्त की धूल ने मुझ पर परतें चढ़ा दी हैं, खुद की पहचान कहीं खो सी गई है।

आइना भी अब सवाल करता है, ये तू है या कोई और चेहरा है।

खुद को फिर से खोजने की चाहत है, बस यही एक उम्मीद की राहत है।

© नि:शब्द