प्रीत
प्रीत से प्रीत जुड़ गई
जब हम दोनों की मीत मिल गई
नयनो से नयनों तक
नयनों से नयनों पर
हम दोनों की नजरें ठहर गई
मिले कुछ हम इस तरह
मानो सारी दुनिया पीछे छूट गई
चेहरे की वो खूबसूरत बिंदी
हाथों में वो मेहंदी
सोलह शृंगार में वो सजती चली गई
कोई कुदरत का करिश्मा ही मान लो
मानो सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गई
होठों की वो मुस्कान
प्रकृति भी है आज मेहरबान
पवन के झोंकों सा पहलवान
आज तो हवा भी बस वही...
जब हम दोनों की मीत मिल गई
नयनो से नयनों तक
नयनों से नयनों पर
हम दोनों की नजरें ठहर गई
मिले कुछ हम इस तरह
मानो सारी दुनिया पीछे छूट गई
चेहरे की वो खूबसूरत बिंदी
हाथों में वो मेहंदी
सोलह शृंगार में वो सजती चली गई
कोई कुदरत का करिश्मा ही मान लो
मानो सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गई
होठों की वो मुस्कान
प्रकृति भी है आज मेहरबान
पवन के झोंकों सा पहलवान
आज तो हवा भी बस वही...