आख़िर क्यों ?
वो भी कैसी बस्ती है ?
जहाँ पर तू रहतीं है ।
मंजूर तुझे थी ना ये मगर ,
मजबूर होकर तू ही हस्ती है।
लोगों ने बस इतनी जानी है ,
तू काम एक ही आनी है ।
क्या ये सोच तुझे सताती है ?
क्या यूं मर के भी जीना चाहती है ?
क्या बचपन तेरा छीना था ?
क्या मुश्किल तेरा...
जहाँ पर तू रहतीं है ।
मंजूर तुझे थी ना ये मगर ,
मजबूर होकर तू ही हस्ती है।
लोगों ने बस इतनी जानी है ,
तू काम एक ही आनी है ।
क्या ये सोच तुझे सताती है ?
क्या यूं मर के भी जीना चाहती है ?
क्या बचपन तेरा छीना था ?
क्या मुश्किल तेरा...