ख़त
कई ख़त लिखे तुमको मैंने
मगर भेज न पाया एहसास मेरे,
बूंद बूंद श्याही की हर बूंद में प्यार सिर्फ़ तुम्हारा था
मगर पढ़ पाए तुम सिर्फ़ अल्फाज़ मेरे,
खोने का डर लिखा था, पाने का अभिमान लिखा
सीने में दिल कितना तन्हा, आंखों में बसा संसार लिखा,
पढ़ लेती जो आंखे हर बार तुम्हे देख कहा करती थी, मेरा प्रेम...
मगर भेज न पाया एहसास मेरे,
बूंद बूंद श्याही की हर बूंद में प्यार सिर्फ़ तुम्हारा था
मगर पढ़ पाए तुम सिर्फ़ अल्फाज़ मेरे,
खोने का डर लिखा था, पाने का अभिमान लिखा
सीने में दिल कितना तन्हा, आंखों में बसा संसार लिखा,
पढ़ लेती जो आंखे हर बार तुम्हे देख कहा करती थी, मेरा प्रेम...