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छोड़ दिया
एहसास जुबान तक लाते लाते, कुछ और ही किस्सा जोड़ दिया
कलम भरी थी स्याही से फिर जाने क्यो कागज मोड़ दिया
किस्से तेरी मोहब्बत के खुश लम्हे सारे लिख डाले
दर्द बयां कर ना पाया और लिखते लिखते छोड़ दिया
वो रोना कैसे लिख पता ,कैसे लिखता वो बातें
कैसे बताता लोगो को ,कैसे गुजरी तन्हा रातें
ये दर्दे ए मोहब्बत मैं ही सहू बस, इसलिए कलम को तोड़ दिया
दर्द बयां कर ना पाया और लिखते लिखते छोड़ दिया
© Anjaan
कलम भरी थी स्याही से फिर जाने क्यो कागज मोड़ दिया
किस्से तेरी मोहब्बत के खुश लम्हे सारे लिख डाले
दर्द बयां कर ना पाया और लिखते लिखते छोड़ दिया
वो रोना कैसे लिख पता ,कैसे लिखता वो बातें
कैसे बताता लोगो को ,कैसे गुजरी तन्हा रातें
ये दर्दे ए मोहब्बत मैं ही सहू बस, इसलिए कलम को तोड़ दिया
दर्द बयां कर ना पाया और लिखते लिखते छोड़ दिया
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